आज आसमान को देख रहा था मैं
तारो से बात कर रहा था मैं
एक सवाल कर रहा था मैं
क्या अब भी वो रात तो तुम्हारे पास आती है
क्या अब भी तुम्हे अपने पुरे दिन का हाल बताती है
क्या अब भी वो तुम्हे छूने की कोशिश में रहती है
या बिना तुम्हे बताये अपने सरे गम सहती है
जो सवाल मेरे है तुमसे
क्या वो भी वही सवाल कहती है
तारो में से एक तारे ने जवाब दिया
सवाल नहीं मानो एक ख्वाब दिया
कहने लगा वो आती तो है अभी भी मेरे पास रात को
पर कुछ बताती नहीं छुपती है अपने जजबात को
अपने अभी के दिनों का हाल तो नहीं बताती
पर हर गम का कुसूरवार बताती है अपने हालत को
उसकी आँखे लगातार मुझे देखती है
और वो आँखें कहती है
ए तारे , टूट के गिर जा
और मै माँग लू टूटे तारे से अपने प्यार को
सुन के उसकी बाते मै सहम सा ग्या
एक पल के लिए मानो वक़्त थम सा गया
ट्रेन के इंज़न ने यु शोर किया
जागा मै तो ये गौर किया
की ये तो एक सपना था
लगता तो अपना था
ये सोच ही रहा था कि
विंडो से एक तारा टूटता दिखयी दिया
वो सपना नहीं सच है ये बया किया!!!!
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